बरखा तेरे आने से मन मोर खिल जाता है, सूखी हुई धरती को पारस मिल जाता है। बरखा तेरे आने से मन मोर खिल जाता है, सूखी हुई धरती को पारस मिल जाता है।
लहू का उबाल तो हमारा खानदानी है, फ़िरभी सोच तो हमारी भी रूहानी है। लहू का उबाल तो हमारा खानदानी है, फ़िरभी सोच तो हमारी भी रूहानी है।
कितनी भीगी आँखे? कितने दिल नरम है! "अम्मा" तेरे जाने का सबको कितना गम है। कितनी भीगी आँखे? कितने दिल नरम है! "अम्मा" तेरे जाने का सबको कितना गम है।
बस बातें ही बातें करते बस बातें ही बातें करते
जहां भी जाऊं सज कर जाऊं जो तेरे रंग में, मैं रंग जाऊं। जहां भी जाऊं सज कर जाऊं जो तेरे रंग में, मैं रंग जाऊं।
कर्कश ध्वनि में गीत बजे तो, कोई नहीं समझता है ! कर्कश ध्वनि में गीत बजे तो, कोई नहीं समझता है !